मध्य पूर्व के अखाड़े में ईरान बनाम सऊदी अरब
ईरान और सऊदी अरब, मध्य-पूर्व की इन दो ताक़तों ने अपने आपसी होड़ को दुश्मनी की हद तक पहुंचा दिया है. इस दुश्मनी की वजह कुछ तो ऐतिहासिक है और कुछ इस क्षेत्र की घटनाएं , जिन पर दोनों पक्षों की सीधी प्रतिक्रियाओं ने इस आग को हवा देने का काम ही किया है. तेहरान और रियाद एक बार फिर एक नए विवाद की वजह से एक-दूसरे के सामने आ गए हैं. दोनों ही देश खुद को मध्य-पूर्व के इस इलाके की सबसे बड़ी भूराजनीतिक ताक़त (जियोपॉलिटिकल पावर) साबित करने की फ़िराक़ में हैं. हालांकि ईरान औ र सऊदी अरब पिछले कई दशकों से मध्य पूर्व की क्षेत्रीय राजनीति में एक-दूसरे के साथ लगातार स्पर्धा में उलझे हैं. पेरिस समझौते के बाद शायद यमन के मोर्चे पर तेहरान और रियाद एक दूसरे के इतने नजदीक खड़े हैं कि उनकी दुश्मनी कभी भी धमाके की शक्ल अख्तियार कर सकती है. अब तक ये दोनों देश अपने प्रतिद्वंद्वी को कमज़ोर करने और अपनी स्थिति को मज़बूत करने के लिए रणनीति के तौर पर पैसा खर्च करते थे ताकि अपने विरोधी पर बाहरी और अंदरूनी दबाव बनाए रख सकें. लेकिन मध्य-पूर्व में बिछी शतरंज की इस बिसात पर ईरान के हाथ में ऐसा मोहरा है ज...