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Showing posts from November, 2018

मध्य पूर्व के अखाड़े में ईरान बनाम सऊदी अरब

ईरान और सऊदी अरब, मध्य-पूर्व की इन दो ताक़तों ने अपने आपसी होड़ को दुश्मनी की हद तक पहुंचा दिया है. इस दुश्मनी की वजह कुछ तो ऐतिहासिक है और कुछ इस क्षेत्र की घटनाएं , जिन पर दोनों पक्षों की सीधी प्रतिक्रियाओं ने इस आग को हवा देने का काम ही किया है. तेहरान और रियाद एक बार फिर एक नए विवाद की वजह से एक-दूसरे के सामने आ गए हैं. दोनों ही देश खुद को मध्य-पूर्व के इस इलाके की सबसे बड़ी भूराजनीतिक ताक़त (जियोपॉलिटिकल पावर) साबित करने की फ़िराक़ में हैं. हालांकि ईरान औ र सऊदी अरब पिछले कई दशकों से मध्य पूर्व की क्षेत्रीय राजनीति में एक-दूसरे के साथ लगातार स्पर्धा में उलझे हैं. पेरिस समझौते के बाद शायद यमन के मोर्चे पर तेहरान और रियाद एक दूसरे के इतने नजदीक खड़े हैं कि उनकी दुश्मनी कभी भी धमाके की शक्ल अख्तियार कर सकती है. अब तक ये दोनों देश अपने प्रतिद्वंद्वी को कमज़ोर करने और अपनी स्थिति को मज़बूत करने के लिए रणनीति के तौर पर पैसा खर्च करते थे ताकि अपने विरोधी पर बाहरी और अंदरूनी दबाव बनाए रख सकें. लेकिन मध्य-पूर्व में बिछी शतरंज की इस बिसात पर ईरान के हाथ में ऐसा मोहरा है ज...

इंदिरा की जान बचाने के लिए चढ़ा था 80 बोतल ख़ून

भुवनेश्वर से इंदिरा गाँधी की कई यादें जुड़ी  हुई हैं और इनमें से अधिकतर यादें सुखद नहीं हैं. इसी शहर में उनके पिता जवाहरलाल नेहरू पहली बार गंभीर रूप से बीमार पड़े थे जिसकी वजह से मई 1964 में उनकी मौत हुई थी और इसी शहर में 1967 के चुनाव प्रचार के दौरान इंदिरा गाँधी पर  एक पत्थर फेंका गया था जिससे उनकी नाक की हड्डी टूट गई थी. 30 अक्तूबर 1984 की दोपहर इंदिरा गांधी ने जो चुनावी भाषण दिया, उसे हमेशा की तरह उनके सूचना सलाहकार एचवाई शारदा प्रसाद ने तैयार किया था. लेकिन अचानक उन्होंने तैयार आलेख से अलग होकर बोलना शुरू कर दिया. उनके बोलने का तेवर भी बदल गया. इंदिरा गांधी बोलीं, "मैं आज यहाँ हूँ. कल शायद यहाँ न रहूँ. मुझे चिंता नहीं मैं रहूँ या न रहूँ. मेरा लंबा जीवन रहा है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने अपना पूरा जीवन अपने लोगों की सेवा में बिताया है. मैं अपनी आख़िरी सांस तक ऐसा करती रहूँगी और जब मैं मरूंगी तो मेरे ख़ून का एक-एक क़तरा भारत को मज़बूत करने में लगेगा." कभी-कभी नियति शब्दों में ढलकर आने वाले दिनों की तरफ़ इशारा करती है. भाषण के बाद जब वो राजभवन लौटी...

शादी के लिए रणवीर सिंह ने 1 हफ्ते में घटाया वजन, खूब की मशक्कत

रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण अब पति- पत्नी हो गए हैं. शादी से पहले रणवीर सिंह अपनी फिल्म "सिंबा" की शूटिंग में बिजी थे. फिल्म की शूटिंग के लिए उन्होंने अपना वजन बढ़ाया था. रणवीर हमेशा से ही फिटनेस फ्रिक रहे हैं. वो अपनी शादी में एक दम फिट दिखना चाहते थे.  इसके लिए रणवीर को काफी मेहनत करनी पड़ी. पिंकविला की खबर के मुताबिक, अपनी शादी में फिट लुक कैरी करने के लिए एक्टर ने मात्र 1 हफ्ते में अपना वजन घटाया. रणवीर ने "कीटो डाइट" फॉलो कर वजन कम किया. बता दें कि कीटो डाइट कम कर्बोहाइड्रेट आहार के लिए मशहूर है. शादी की तस्वीरें देखकर कहा जा सकता है कि रणवीर की मेहनत सफल रही है. वो अपनी शादी की तस्वीरों में काफी स्टनिंग लग रहे हैं. रणवीर , सिंधी वेडिंग में प‍िंक और गोल्डन कांजीवरम शेरवानी, स‍िर पर साफा बांधे रणवीर पूरे राजसी ठाठ-बाट में नजर आए. ये लुक उन पर काफी जच रहा था . वहीं कोंकणी वेडिंग में रणवीर सिंह ने सफेद कुर्ता पहना था. इस लुक में भी वो काफी स्मार्ट लग रहे थे. रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण को शादी के बाद फैंस और बॉलीवुड सेलेब्स की बधाइयां मिलने का सिलसिला ज...