क्या F-16 विमानों का इस्तेमाल भारत के ख़िलाफ़ कर सकता है पाकिस्तान?
बीते कुछ दिनों से भारत से लेकर पाकिस्तानी मीडिया में एक सवाल उठाया जा रहा है कि पाकिस्तान ने भारत के ख़िलाफ़ हवाई हमले में एफ़-16 विमानों का इस्तेमाल किया है या नहीं.
पाकिस्तान सरकार का दावा है कि वह ऐसे अभियानों में एफ़-16 विमानों का इस्तेमाल नहीं करता है. वहीं, भारत सरकार ने कुछ सबूत दिखाकर ये दावा किया है कि भारतीय वायुसेना ने एक एफ़-16 विमान को मार गिराया है.
इस बीच ये ख़बर भी आई कि अमरीकी सरकार ने इन विमानों को भारत के ख़िलाफ़ इस्तेमाल को लेकर पाकिस्तान को खरीखोटी सुनाई है. हालांकि, अब तक इन ख़बरों की पुष्टि नहीं की जा सकी है.
लेकिन पाकिस्तान में स्थित अमरीकी दूतावास के प्रवक्ता ने बीबीसी के साथ ख़ास बातचीत में बताया है कि अमरीकी सरकार इस मुद्दे पर जानकारी हासिल कर रही है कि क्या पाक वायुसेना ने भारत के ख़िलाफ़ एफ़-16 विमान का प्रयोग किया जिसकी वजह से भारतीय वायुसेना का मिग-21 विमान मारा गया.
अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा है कि अमरीका ऐसी ख़बरों से अवगत है और अधिक जानकारी आने का इंतज़ार कर रहा है.
हालांकि, अब तक ये स्पष्ट नहीं है कि अमरीकी सरकार ने इसके लिए आधिकारिक तौर पर पाक सरकार से संपर्क किया है या नहीं.
पाकिस्तान क्या कर सकता है?
एफ़-16 विमानों के इस्तेमाल को लेकर अभी भी एक सवाल बना हुआ है कि क्या अमरीका और पाकिस्तान के बीच विमानों के इस्तेमाल को लेकर कोई ऐसा क़रार है जिसके तहत पाकिस्तान आक्रामक अभियानों में इन विमानों का प्रयोग नहीं कर सकता है.
पाकिस्तान के सूचना मंत्री फ़व्वाद चौधरी ने कहा है कि इस मुद्दे पर अब तक अमरीकी सरकार ने संपर्क नहीं किया है.
वहीं, पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल ग़फ़ूर से जब ये सवाल किया गया कि क्या पाकिस्तान ने एफ़-16 विमानों का प्रयोग किया तो उन्होंने भी इसे लेकर असहमति जताई.
हालांकि, पाकिस्तान के पूर्व रक्षा सचिव लेफ़्टिनेंट जनरल नईम लोधी ने बीबीसी के साथ बातचीत में कहा है कि उनकी जानकारी में पाकिस्तान और अमरीका के बीच ऐसा कोई क़रार नहीं है जो हथियारों के इस्तेमाल को सीमित करता हो.
लोधी बताते हैं, "पहली बात तो ये कि जब सारी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान का नंबर 1 दुश्मन भारत है. इसके बावजूद वे रक्षा उत्पाद बेचते हैं तो ये उम्मीद करना बहुत ही स्वाभाविक है कि इनका इस्तेमाल कहां होगा. दूसरी बात ये है कि पाकिस्तान ने ये हथियार फ्री में नहीं ख़रीदे हैं. मेरे मुताबिक़, ऐसा कोई क़रार नहीं है जो कि ये तय करता हो कि ये विमान सिर्फ़ आतंक के ख़िलाफ़ संघर्ष में इस्तेमाल किए जा सकते हैं"
हालांकि, लोधी हेलिकॉप्टर डील पर बात करते हुए कहते हैं कि लड़ाकु जहाज़ों को लेकर ऐसे किसी क़रार की जानकारी उन्हें नहीं है. हालांकि, कुछ हेलिकॉप्टरों को सिविल इस्तेमाल के लिए रखा गया है.
हमला हुआ तो क्या करेगा पाकिस्तान?
वहीं, पाकिस्तान के पूर्व रक्षा मंत्री खु़र्रम दस्तगीर कहते हैं कि पाकिस्तान अपनी रक्षा के लिए और अपनी सीमा पर हर तरह के हथियार का इस्तेमाल कर सकता है. लेकिन पाकिस्तान इस विमान को किसी देश के ख़िलाफ़ आक्रामक कार्रवाई के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता है.
इसके साथ ही पाकिस्तान के पूर्व रक्षा सचिव नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं, "ये संभव है कि नाइन इलेवन के बाद ख़रीदे गए एफ़-16 विमानों के साथ ही ऐसी कोई शर्त जुड़ी हो. लेकिन ये समझना ज़रूरी है कि पाकिस्तान पर हमले की स्थिति में पाकिस्तान किसी डील के बारे में सोचने की जगह अपनी रक्षा करने के लिए बेहतरीन हथियारों का इस्तेमाल करने की सोचेगा.
पाकिस्तान ने अपनी सुरक्षा के लिए बीते कुछ सालों में भारी मात्रा में हथियार और विमान ख़रीदे हैं.
और पाकिस्तान सरकार आतंक के ख़िलाफ़ लड़ाई ही नहीं बल्कि अपनी पूर्वी सीमा की सुरक्षा के लिए भी इन विमानों पर निर्भर है.
पाकिस्तान सरकार का दावा है कि वह ऐसे अभियानों में एफ़-16 विमानों का इस्तेमाल नहीं करता है. वहीं, भारत सरकार ने कुछ सबूत दिखाकर ये दावा किया है कि भारतीय वायुसेना ने एक एफ़-16 विमान को मार गिराया है.
इस बीच ये ख़बर भी आई कि अमरीकी सरकार ने इन विमानों को भारत के ख़िलाफ़ इस्तेमाल को लेकर पाकिस्तान को खरीखोटी सुनाई है. हालांकि, अब तक इन ख़बरों की पुष्टि नहीं की जा सकी है.
लेकिन पाकिस्तान में स्थित अमरीकी दूतावास के प्रवक्ता ने बीबीसी के साथ ख़ास बातचीत में बताया है कि अमरीकी सरकार इस मुद्दे पर जानकारी हासिल कर रही है कि क्या पाक वायुसेना ने भारत के ख़िलाफ़ एफ़-16 विमान का प्रयोग किया जिसकी वजह से भारतीय वायुसेना का मिग-21 विमान मारा गया.
अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा है कि अमरीका ऐसी ख़बरों से अवगत है और अधिक जानकारी आने का इंतज़ार कर रहा है.
हालांकि, अब तक ये स्पष्ट नहीं है कि अमरीकी सरकार ने इसके लिए आधिकारिक तौर पर पाक सरकार से संपर्क किया है या नहीं.
पाकिस्तान क्या कर सकता है?
एफ़-16 विमानों के इस्तेमाल को लेकर अभी भी एक सवाल बना हुआ है कि क्या अमरीका और पाकिस्तान के बीच विमानों के इस्तेमाल को लेकर कोई ऐसा क़रार है जिसके तहत पाकिस्तान आक्रामक अभियानों में इन विमानों का प्रयोग नहीं कर सकता है.
पाकिस्तान के सूचना मंत्री फ़व्वाद चौधरी ने कहा है कि इस मुद्दे पर अब तक अमरीकी सरकार ने संपर्क नहीं किया है.
वहीं, पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल ग़फ़ूर से जब ये सवाल किया गया कि क्या पाकिस्तान ने एफ़-16 विमानों का प्रयोग किया तो उन्होंने भी इसे लेकर असहमति जताई.
हालांकि, पाकिस्तान के पूर्व रक्षा सचिव लेफ़्टिनेंट जनरल नईम लोधी ने बीबीसी के साथ बातचीत में कहा है कि उनकी जानकारी में पाकिस्तान और अमरीका के बीच ऐसा कोई क़रार नहीं है जो हथियारों के इस्तेमाल को सीमित करता हो.
लोधी बताते हैं, "पहली बात तो ये कि जब सारी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान का नंबर 1 दुश्मन भारत है. इसके बावजूद वे रक्षा उत्पाद बेचते हैं तो ये उम्मीद करना बहुत ही स्वाभाविक है कि इनका इस्तेमाल कहां होगा. दूसरी बात ये है कि पाकिस्तान ने ये हथियार फ्री में नहीं ख़रीदे हैं. मेरे मुताबिक़, ऐसा कोई क़रार नहीं है जो कि ये तय करता हो कि ये विमान सिर्फ़ आतंक के ख़िलाफ़ संघर्ष में इस्तेमाल किए जा सकते हैं"
हालांकि, लोधी हेलिकॉप्टर डील पर बात करते हुए कहते हैं कि लड़ाकु जहाज़ों को लेकर ऐसे किसी क़रार की जानकारी उन्हें नहीं है. हालांकि, कुछ हेलिकॉप्टरों को सिविल इस्तेमाल के लिए रखा गया है.
हमला हुआ तो क्या करेगा पाकिस्तान?
वहीं, पाकिस्तान के पूर्व रक्षा मंत्री खु़र्रम दस्तगीर कहते हैं कि पाकिस्तान अपनी रक्षा के लिए और अपनी सीमा पर हर तरह के हथियार का इस्तेमाल कर सकता है. लेकिन पाकिस्तान इस विमान को किसी देश के ख़िलाफ़ आक्रामक कार्रवाई के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता है.
इसके साथ ही पाकिस्तान के पूर्व रक्षा सचिव नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं, "ये संभव है कि नाइन इलेवन के बाद ख़रीदे गए एफ़-16 विमानों के साथ ही ऐसी कोई शर्त जुड़ी हो. लेकिन ये समझना ज़रूरी है कि पाकिस्तान पर हमले की स्थिति में पाकिस्तान किसी डील के बारे में सोचने की जगह अपनी रक्षा करने के लिए बेहतरीन हथियारों का इस्तेमाल करने की सोचेगा.
पाकिस्तान ने अपनी सुरक्षा के लिए बीते कुछ सालों में भारी मात्रा में हथियार और विमान ख़रीदे हैं.
और पाकिस्तान सरकार आतंक के ख़िलाफ़ लड़ाई ही नहीं बल्कि अपनी पूर्वी सीमा की सुरक्षा के लिए भी इन विमानों पर निर्भर है.
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