मिजोरम में पहली बार महिला लड़ेगी लोकसभा चुनाव, तेलंगाना की एक सीट पर 23 साल बाद बैलेट से वोटिंग

नई दिल्ली. मिजोरम के इतिहास में पहली बार महिला उम्मीदवार लालथलामौनी लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रही हैं। उन्होंने कहा कि मैंने यह कदम भगवान के इशारे पर उठाया है। वे मिजोरम में एनजीओ के जरिए यहूदी समुदाय के लोगों के कल्याण के लिए काम करती हैं। उधर, तेलंगाना की निजामाबाद सीट पर इस बार 185 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से 175 उम्मीदवार मूल रूप से किसान हैं। यह सीट मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव की बेटी के.कविता की है।

सरकार के प्रति नाराजगी के चलते इतनी बड़ी संख्या में किसानों से इस सीट से दावेदारी जताई है ताकि उनकी समस्याओं के प्रति लोगों का ध्यान खींचा जा सके।उम्मीदवारों की इतनी बड़ी संख्या के चलते आयोग की चुनाैती यह है कि ईवीएम में केवल 64 नाम आ सकते हैं। ऐसे में चुनाव बैलेट पेपर के जरिए करवाना होगा, जिसके लिए आयोग को अगले दस दिनों में 15 लाख जम्बो साइज बैलेट पेपर प्रिंट करवाना पड़ेंगे।

महिला उम्मीदवार ने कहा- यह मिजोरम की महिलाओं की लड़ाई
मिजोरम के इतिहास में पहली बार एक महिला उम्मीदवार लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रही है। इस चुनाव में लालथलामौनी का मुकाबला पांच पुरुष उम्मीदवारों से होगा। फिलहाल यहां के मौजूदा सांसद कांग्रेस के सीएल रौला (83) हैं, जो दो बार चुनाव जीत चुके हैं। पिछले साल मिजोरम के विधानसभा चुनाव में 15 महिला उम्मीदवार उतरी थीं। लालथलामौनी भी उन्हीं में से एक हैं, जिन्हें इस चुनाव में केवल 69 वोट मिले थे।

63 वर्षीय लालथलामौनी ने कहा, ''मैंने यह कदम भगवान के इशारे पर उठाया। यह एक पवित्र लड़ाई है, जो मिजोरम में महिलाओं के लिए है। मेरी चुनौती मिजोरम की महिलाओं के लिए भी है। हमारे पास किसी तरह का राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं है। हम दुनिया के सामने अपनी पहचान को लेकर बात करते रहते हैं। अब समय आ गया है कि संसद को अपने प्लेटफॉर्म के तौर पर उपयोग करें। हमें कोई ऐसा चाहिए जो न सिर्फ हमारे लिए खड़ा हो बल्कि यह सुनिश्चित करे कि हमारी आवाज सुनी जाए।''

तेलंगाना को लेकर अधिकारी ने कहा- बैलेट पेपर के अलावा कोई विकल्प नहीं
निजामाबाद का प्रतिनिधित्व तेलंगाना राष्ट्र समिति की के.कविता करती हैं, जो मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव की बेटी हैं। यहां खड़े हुए 185 उम्मीदवारों में से 175 हल्दी किसान हैं, जो सरकार के रवैये से बेहद नाराज हैं। इसका कारण हल्दी के भावों का पिछले एक दशक में सबसे कम होना है। किसानों का कहना है कि सरकार इस बारे में कोई कदम नहीं उठा रही है।

मुख्य चुनाव अधिकारी रजत कुमार ने बताया कि ईवीएम में केवल 64 नाम ही शामिल किए जा सकते हैं, जिसमें नोटा का विकल्प शामिल है। ऐसे में बैलेट पेपर से चुनाव करवाने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।

अधिकारी ने कहा, ''हमें अगले दस दिनों में 15 लाख जम्बो साइज बैलेट पेपर प्रिंट करवाने के साथ ही सैकड़ों बैलेट पेपर बॉक्स उपलब्ध करवाना होंगे। इस स्थिति से निपटने के लिए कई प्रिंटर्स से हमारी बातचीत चल रही है। अन्य प्रदेशों से भी बैलेट बॉक्स का प्रबंध किया जा रहा है। अब हमें सभी स्वतंत्र उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न भी देना होंगे, जिसमें बहुत समय लगेगा।''

1996 के बाद यह पहला मौका है, जब प्रदेश में होने वाले चुनाव के दौरान बैलेट पेपर का इस्तेमाल किया जा रहा है। निजामाबाद से 245 नामांकन दाखिल किए गए, जिनमें टीआरएस, कांग्रेस, भाजपा और वामपंथी उम्मीदवारों के अलावा बाकी उम्मीदवार किसान हैं।

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