लोकसभा चुनाव 2019: प्रियंका बोलीं-जुमले नहीं जवाब चाहिए, योगी ने पूछा, 'नींद खुल गई'
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच रविवार को ट्विटर पर वार और पलटवार का मुक़ाबला हुआ.
कांग्रेस की पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी ने गन्ना किसानों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की कथित अनदेखी का मुद्दा उठाते हुए ट्विटर पर लिखा, "जुमले नहीं, जवाब चाहिए."
कुछ वक़्त बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर ही उनसे सवाल किया, "नींद खुल गई"
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने रविवार को तीन ट्वीट किए और इनके जरिए उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार पर सवाल उठाए.
प्रियंका गांधी ने लिखा, "गन्ना किसानों के परिवार दिन रात मेहनत करते हैं. मगर उप्र सरकार उनके भुगतान का भी जिम्मा नहीं लेती. किसानों का 10000 करोड़ बकाया मतलब उनके बच्चों की शिक्षा, भोजन, स्वास्थ्य और अगली फसल सबकुछ ठप्प हो जाता है. यह चौकीदार सिर्फ़ अमीरों की ड्यूटी करते हैं, गरीबों की इन्हें परवाह नहीं."
इसके बाद उन्होंने दो ट्वीट और किये जो आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को लेकर थे.
प्रियंका गांधी ने लिखा, " उत्तर प्रदेश की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं राज्य कर्मचारी का दर्जा मांग रही हैं. भाजपा सरकार ने उनकी पीड़ा सुनने के बजाय उनपर लाठियाँ चलवाईं. मेरी बहनों का संघर्ष, मेरा संघर्ष है."
इस ट्वीट के कुछ देर बाद ही प्रियंका के ट्विटर हैंडल से एक और ट्वीट किया गया.
"उत्तर प्रदेश की आशाकर्मी 9 महीनों के लिए एक गर्भवती महिला के स्वास्थ की ज़िम्मेदारी उठाती हैं जिसके लिए उन्हें मात्र 600 रुपये मिलते हैं. भाजपा सरकार ने कभी उनकी मानदेय में बढ़ोत्तरी की सुध नहीं ली. उन्हें जुमले नहीं, जवाब चाहिए."
ये दोनों ही ट्वीट हैश-टैग के साथ शेयर किये गए.
प्रियंका गांधी के इन ट्वीट के कुछ देर बाद ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर पर जवाब दिया.
एक अन्य ट्वीट में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने लिखा, "कांग्रेस की डूबती नइया की नई खिवईया भ्रामक प्रचार से जनता को बरगलाने में लगी हैं, अब तक आशा बहनों की शुभ चिंतक कहाँ थीं. नींद खुल गयी? आशाओं को 600 रुपये JSY के तहत प्रसव पूर्व देखभाल और उच्च जोख़िम वाली गर्भावस्था के संस्थागत प्रसव के लिये उन्हें अतिरिक्त 300 रु. मिल रहे हैं."
योगी आदित्यनाथ ने लिखा "हाल ही में सरकार ने प्रति माह 750 रुपये की वृद्धि की घोषणा की है, पिछले साल आशाओं को होने वाला औसत भुगतान 2865 रु. महीना था जो केंद्र सरकार द्वारा 1000 रु. की वृद्धि के बाद पिछले 6 महीनों से लगभग 4000 है और राज्य सरकार की वर्तमान वृद्धि के साथ लगभग 5000 रु. प्रति माह हो गया है."
हालांकि ये कोई पहला मौक़ा नहीं है जब प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है. इससे पहले प्रियंका गांधी अपनी तीन दिन की गंगा यात्रा के दौरान भी सरकार पर निशाना साध चुकी हैं.
उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी मिलने के बाद से प्रियंका लगातार सक्रिय हैं. हालांकि पहले कयास थे कि वो उत्तर प्रदेश में किसी सीट से चुनाव भी लड़ सकती हैं लेकिन फिलहाल उन्होंने साफ़ कर दिया है कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगी और अपना सारा काम संगठन को मज़बूत करने में लगाएंगी.
कांग्रेस की पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी ने गन्ना किसानों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की कथित अनदेखी का मुद्दा उठाते हुए ट्विटर पर लिखा, "जुमले नहीं, जवाब चाहिए."
कुछ वक़्त बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर ही उनसे सवाल किया, "नींद खुल गई"
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने रविवार को तीन ट्वीट किए और इनके जरिए उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार पर सवाल उठाए.
प्रियंका गांधी ने लिखा, "गन्ना किसानों के परिवार दिन रात मेहनत करते हैं. मगर उप्र सरकार उनके भुगतान का भी जिम्मा नहीं लेती. किसानों का 10000 करोड़ बकाया मतलब उनके बच्चों की शिक्षा, भोजन, स्वास्थ्य और अगली फसल सबकुछ ठप्प हो जाता है. यह चौकीदार सिर्फ़ अमीरों की ड्यूटी करते हैं, गरीबों की इन्हें परवाह नहीं."
इसके बाद उन्होंने दो ट्वीट और किये जो आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को लेकर थे.
प्रियंका गांधी ने लिखा, " उत्तर प्रदेश की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं राज्य कर्मचारी का दर्जा मांग रही हैं. भाजपा सरकार ने उनकी पीड़ा सुनने के बजाय उनपर लाठियाँ चलवाईं. मेरी बहनों का संघर्ष, मेरा संघर्ष है."
इस ट्वीट के कुछ देर बाद ही प्रियंका के ट्विटर हैंडल से एक और ट्वीट किया गया.
"उत्तर प्रदेश की आशाकर्मी 9 महीनों के लिए एक गर्भवती महिला के स्वास्थ की ज़िम्मेदारी उठाती हैं जिसके लिए उन्हें मात्र 600 रुपये मिलते हैं. भाजपा सरकार ने कभी उनकी मानदेय में बढ़ोत्तरी की सुध नहीं ली. उन्हें जुमले नहीं, जवाब चाहिए."
ये दोनों ही ट्वीट हैश-टैग के साथ शेयर किये गए.
प्रियंका गांधी के इन ट्वीट के कुछ देर बाद ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर पर जवाब दिया.
एक अन्य ट्वीट में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने लिखा, "कांग्रेस की डूबती नइया की नई खिवईया भ्रामक प्रचार से जनता को बरगलाने में लगी हैं, अब तक आशा बहनों की शुभ चिंतक कहाँ थीं. नींद खुल गयी? आशाओं को 600 रुपये JSY के तहत प्रसव पूर्व देखभाल और उच्च जोख़िम वाली गर्भावस्था के संस्थागत प्रसव के लिये उन्हें अतिरिक्त 300 रु. मिल रहे हैं."
योगी आदित्यनाथ ने लिखा "हाल ही में सरकार ने प्रति माह 750 रुपये की वृद्धि की घोषणा की है, पिछले साल आशाओं को होने वाला औसत भुगतान 2865 रु. महीना था जो केंद्र सरकार द्वारा 1000 रु. की वृद्धि के बाद पिछले 6 महीनों से लगभग 4000 है और राज्य सरकार की वर्तमान वृद्धि के साथ लगभग 5000 रु. प्रति माह हो गया है."
हालांकि ये कोई पहला मौक़ा नहीं है जब प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है. इससे पहले प्रियंका गांधी अपनी तीन दिन की गंगा यात्रा के दौरान भी सरकार पर निशाना साध चुकी हैं.
उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी मिलने के बाद से प्रियंका लगातार सक्रिय हैं. हालांकि पहले कयास थे कि वो उत्तर प्रदेश में किसी सीट से चुनाव भी लड़ सकती हैं लेकिन फिलहाल उन्होंने साफ़ कर दिया है कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगी और अपना सारा काम संगठन को मज़बूत करने में लगाएंगी.
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