भूटान में क्या मच्छर मारना भी पाप है?
युवा माधवी शर्मा मुस्कुराते हुए ये बात हमें बताती हैं. उनका परिवार धान की खेती करता है और जानवर पाल कर अपना गुज़र-बसर करता है. माधवी, भूटान के दक्षिणी इलाक़े में स्थित गांव समटेलिंग की रहने वाली हैं. माधवी का परिवार शाम का वक़्त किचेन में गुज़ारता है. वहां वो खुले चूल्हे में खाना पकाते हैं. इसके धुएं से कीड़े-मकोड़े भाग जाते हैं. माधवी शर्मा ने दसवीं तक पढ़ाई की है. वो भी मुंहज़बानी और सरकारी अभियानों की मदद से उन्हें मलेरिया और उन्हें डेंगू के ख़तरों का अच्छे से अंदाज़ा है. दोनों ही बीमारियां मच्छरों से फैलती हैं. माधवी का परिवार कभी भी अपनी रिहाइश के आस-पास पानी नहीं रुकने देता. वो मच्छरदानी लगाकर सोते हैं, जिन्हें सरकार की तरफ़ से बांटा गया है. माधवी के 14 महीने के बच्चे के लिए एक खटोला है. उस में भी मच्छरदानी लगी हुई है. शर्मा परिवार के घर में साल में दो बार कीटनाशकों का छिड़काव होता है. परिवार ने घर की दीवारों पर मिट्टी और गोबर का लेप लगा रखा है. घर की दीवारों के बीच दरा रें हैं. इस वजह से मच्छरदानी की ज़रूरत और बढ़ जाती है. मच्छरदानी, कीटनाशकों का छिड़काव और लोगों को...